चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।
चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
कुछ भी देखा नहीं है तुम्हें छोड़कर
चांद था सामने तो भी रुख मोड़कर
दिल में तस्वीर तेरी छपी थी कभी
देख लेता हूं दिल से मैं दिल खोलकर
चांद तुम हो मेरा दिल तेरा आसमां
इश्क मुश्किल है कितना नहीं जानता ।
चांदनी का असर मैं नहीं जानता
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।।
देखिए मस्त कितनी झटाएं हुई
मैने मांगा कमल तो बहारें मिली
इन बहारों में खिलते कली देखकर
याद आती है मुझको तुम्हारी हंसी।
आंख के नूर से छू लिया मैं मगर
जिस्म से जिस्म छूना नहीं जानता।
चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।।
आओ रंग दो मुझे राधिके रंग में
रंग तेरा मिला और क्या चाहिए
संग रहने की खाएं कसम आज हम
संग तेरा मिला और क्या चाहिए
हाथ में हाथ दो और क्या है भला
मैं नहीं जानता मैं नहीं जानता
चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।।
सौंपता हूं तुम्हें मैं मेरी जिंदगी
अपनी साहिल तुम्हें और ये कश्तियां
तू ही उल्फत में सदियों की है आरजू
तू ही चाहत में कलियों की है गुफ्तगू
तू ही खुशबू मेरी हां मुहब्बत की है
और क्या क्या है तू मैं नहीं जानता
चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।।
पाक गंगा के जैसे हो तुम प्रिय
देह मंदिर तेरा और मन देवता
मैने तुझको जो दिल से यूं आवाज दी
शायरों ने इसे ही कहा आरती
तेरी तुलना भला तो नहीं चांद से
इससे आगे मैं "दीपक" नहीं जानता
चांदनी का असर मैं नहीं जानता।
मैं नहीं जानता , मैं नहीं जानता।।
©®दीपक झा "रुद्रा"
Ravi Goyal
06-Dec-2021 11:51 PM
वाह बहुत जबरदस्त रचना 👌👌
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दीपक झा रुद्रा
07-Dec-2021 06:41 PM
आत्मीय आभार ❤️🙏
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Shrishti pandey
06-Dec-2021 11:29 PM
Nice
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दीपक झा रुद्रा
07-Dec-2021 06:41 PM
बहुत शुक्रिया
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Swati chourasia
06-Dec-2021 08:31 PM
Very beautiful 👌👌
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दीपक झा रुद्रा
07-Dec-2021 06:41 PM
शुक्रिया❤️
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